नई दिल्ली। आयकर विभाग ने कांग्रेस पार्टी को वित्त वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के लिए 1700 करोड़ रुपए का नया नोटिस भेजा है। सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग का डिमांड नोटिस वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए है। कांग्रेस को भेज गए नोटिस में 1700 करोड़ की राशि में जुर्माना और ब्याज शामिल है। आयकर विभाग के नोटिस ने लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कांग्रेस की परेशानी और बढ़ा दी है। कांग्रेस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर 2017-2021 के लिए आयकर विभाग के जुर्माने की दोबारा जांच की मांग की थी, लेकिन अदालत ने कांग्रेस की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद पार्टी को नोटिस भेजा गया है।
Big blow
CM केजरीवाल को बड़ा झटका, आबकारी नीति मामले में अदालत ने 28 मार्च तक ED की हिरासत में भेजा
नई दिल्ली, 22 मार्च : शराब घोटाले मामले में दिल्ली के धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत गठित विशेष अदालत से CM अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को 28 मार्च तक ईडी रिमांड पर भेज दिया है। 28 मार्च को दोपहर 2 बजे आगे पेशी होगी। ईडी ने कोर्ट से सीएम केजरीवाल की 10 दिन की रिमांड मांगा था। अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में कहा था कि देश में पहली बार हो रहा है कि सिटिंग मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है।
वहीं, ईडी ने अदालत को बताया था कि अरविंद केजरीवाल अपने मंत्रियों, ‘आप’ नेताओं की मिलीभगत से दिल्ली शराब घोटाले के सरगना और मुख्य षड्यंत्रकारी हैं। ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गठित विशेष अदालत से अपनी दलील में कहा कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली का मुख्यमंत्री होने का लाभ उठाते हुए धन शोधन में आम आदमी पार्टी (आप) का सहयोग किया।
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वह ‘आप’ अपराध से अर्जित आय की प्रमुख लाभार्थी है। उन्होंने साल 2022 में ‘आप’ के गोवा चुनाव अभियान में अपराध से अर्जित आय के इस्तेमाल में सीधे तौर पर शामिल थे। अरविंद केजरीवाल ने पंजाब चुनाव के लिए ‘साउथ ग्रुप’ से कुछ आरोपियों से 100 करोड़ रुपये की मांग की थी। अरविंद केजरीवाल ने ‘साउथ ग्रुप’ और शराब घोटाले के आरोपियों के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाई। कोर्ट में पेश की गई ईडी की दलील के मुताबिक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रिश्वत की मांग कर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए शराब नीति तैयार करने की साजिश में शामिल थे।
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दिल्ली सीएम ने जानबूझकर नौ समन की अवज्ञा की; जब उनका बयान पीएमएलए के तहत दर्ज किया गया तो उन्होंने सच्चाई नहीं बताई या सही तथ्य नहीं दिए। वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल के वकील ने दलील दी थी कि गिरफ्तारी की शक्ति, गिरफ्तारी की आवश्यकता के समतुल्य नहीं है,अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
