नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताल पर गए डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया है। कोर्ट ने कहा डॉक्टरों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। कोर्ट ने कहा हमें एक्सपर्ट कमेटी बनाई है। सीजेआई ने कहा कि अगर डॉक्टर ड्यूटी पर हैं तो उन्हें अनुपस्थित नहीं माना जाएगा लेकिन अगर वो ड्यूटी पर नहीं हैं तो कानून का पालन किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 30 साल में ऐसा केस नहीं देखा। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस केस में लीपापोती करने की कोशिश की गई। जांच के नियमों की अनदेखी की गई। वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई। अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में एक्शन नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने केस डायरी की हार्ड कॉपी मांगी।
कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा। उसके बाद कोई परेशानी होती है तो कोर्ट आ सकता है। कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर अपने काम पर वापस लौटे। अगर काम पर वापस नहीं लौटते है तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढांचा कैसे चलेगा। ANF में डॉक्टर शामिल होंगे क्योंकि रेसिडेंट डॉक्टर को आश्वस्त करें कि उनकी बात नेशनल टास्क फोर्स द्वारा सुनी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या से संबंधित मामलों की सुनवाई फिर से शुरू की। सीबीआई ने मामले की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
मामले की सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की और बंगाल पुलिस के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप कुमार घोष की भूमिका की आलोचना की। पीठ ने घोष की भूमिका पर भी सवाल उठाया और कहा कि ऐसा लगता है कि हत्या को आत्महत्या के रूप में पेश करने का प्रयास किया गया था।