जालंधर : 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों की ऐतिहासिक विजय की स्मृति में ‘वज्र कोर’ ने 16 दिसम्बर 2025 को विजय दिवस मनाया। यह विजय भारत की सैन्य विरासत का एक स्वर्णिम अध्याय है, जिसने राष्ट्र के साहस, एकता एवं रणनीतिक कौशल को पुनः स्थापित किया। इस युद्ध में भारत ने पूर्वी एवं पश्चिमी मोर्चों पर एक साथ विजय प्राप्त कर अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान को मुक्ति मिली और बांग्लादेश राष्ट्र का गठन हुआ। पश्चिमी मोर्चे पर, “डिफेंडर्स ऑफ पंजाब” के नाम से विख्यात वज्र कोर ने दृढ़ नेतृत्व, उच्च व्यावसायिक दक्षता एवं अपने सैनिकों के अदम्य साहस के बल पर उल्लेखनीय भूमिका निभाई, निर्धारित सभी सैन्य उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया तथा पंजाब सेक्टर में शत्रु की बार-बार की घुसपैठ एवं आक्रमण के प्रयासों को निष्फल किया।
1971 के अभियान के दौरान वज्र कोर ने डेरा बाबा नानक, बुर्ज-फ़तेहपुर एवं सेहजरा में उच्च तीव्रता वाले निर्णायक युद्ध अभियानों का संचालन किया, जहाँ शत्रु प्रतिरोध को पूर्णतः परास्त किया गया। डेरा बाबा नानक में वज्र कोर ने 07 दिसम्बर 1971 तक रावी नदी के पूर्व में स्थित पाकिस्तानी एन्क्लेव तथा महत्वपूर्ण पुल को अपने नियंत्रण में लिया, जिससे सेक्टर सुरक्षित हुआ और शत्रु की संचार एवं आपूर्ति व्यवस्था बाधित हुई। भारी रूप से सुरक्षित शाकारगढ़ बल्ज में बुर्ज-फ़तेहपुर का युद्ध भीषण निकट युद्ध का साक्षी बना, जिसमें अग्रिम मोर्चे पर तैनात पैदल सेना टुकड़ियों ने असाधारण वीरता एवं नेतृत्व का प्रदर्शन किया। सेहजरा में संगठित युद्धाभ्यास, सटीक तोपख़ाना समर्थन एवं दृढ़ रक्षा, जिनका नेतृत्व मेजर जनरल मोहिंदर सिंह चोपड़ा, एमवीसी सहित वरिष्ठ कमांडरों ने किया, के माध्यम से शत्रु के बख़्तरबंद पलटवार को विफल किया और महत्वपूर्ण सामरिक बढ़त को सुरक्षित रखा । इन अभियानों में प्रदर्शित अद्वितीय वीरता के लिए वज्र कोर के योद्धाओं को 09 महावीर चक्र, 50 वीर चक्र तथा 72 सेना पदक, सहित अनेक अन्य अलंकरण प्रदान किए गए जो उनकी शौर्यगाथा एवं सर्वोच्च बलिदान का शाश्वत प्रमाण हैं।
विजय दिवस समारोहों के अंतर्गत, लेफ्टिनेंट जनरल अजय चांदपुरिया, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, वज्र कोर, के नेतृत्व में सेवारत सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों एवं वीर नारियों ने वज्र शौर्य स्थल, जालंधर कैंट में आयोजित पुष्पांजलि एवं पुष्पचक्र अर्पण समारोह में अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह के दौरान वीर नारियों एवं वयोवृद्ध सैनिकों के साथ भावपूर्ण संवाद एवं सम्मान कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिससे कोर एवं उसके वीर योद्धाओं तथा उनके परिवारों के बीच अटूट संबंध पुनः सुदृढ़ हुए। युवाओं को प्रेरित करने एवं राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करने हेतु हथियार एवं उपकरण प्रदर्शन, देशभक्ति चलचित्र महोत्सव तथा विभिन्न प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें आज की भारतीय सेना के शौर्य, अनुशासन एवं तकनीकी क्षमताओं का सजीव प्रदर्शन किया गया।
अपनी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाते हुए, वज्र कोर वर्तमान युग में भी सतर्कता, तत्परता एवं संचालनात्मक उत्कृष्टता का प्रतीक बना हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वज्र योद्धाओं ने तीव्र, समन्वित एवं निर्णायक कार्रवाई के माध्यम से पंजाब सीमा के संवेदनशील क्षेत्रों को सुरक्षित किया तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसी भी विरोधी प्रयास को विफल किया। सतत प्रशिक्षण, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी समावेशन, वास्तविक युद्धाभ्यासों तथा सशक्त मिलिट्री–सिविल फ्यूज़न के माध्यम से कोर सदैव सर्वोच्च युद्ध तैयारी स्तर बनाए रखता है। ‘नेशन फ़र्स्ट’ के अपने मूल मंत्र से प्रेरित होकर वज्र कोर राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा हेतु सदैव तत्पर है और भविष्य की किसी भी चुनौती का साहस एवं संकल्प के साथ सामना करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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