उपासना कामिनेनी कोनिडेला की हालिया सोशल मीडिया पोस्ट ने एक महत्वपूर्ण और विचारोत्तेजक चर्चा को जन्म दिया है। देश के सबसे संवेदनशील और अक्सर टाले जाने वाले विषयों में से एक—मंदिरों की भूमि—पर बात करते हुए उन्होंने एक साहसिक लेकिन गहराई से जुड़ा हुआ विचार प्रस्तुत किया है: इन स्थानों को वेलनेस, योग, ध्यान और सामुदायिक उपचार के केंद्रों में बदलना।
मंदिरों को केवल पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि समग्र कल्याण के केंद्र के रूप में पुनः परिकल्पित करते हुए उपासना यह दर्शाती हैं कि धर्म, योग और सामूहिक हीलिंग के माध्यम से लोगों को जोड़ना भारत में बीमारियों के बोझ को काफी हद तक कम कर सकता है और देश के ‘हैप्पीनेस कोटिएंट’ को बढ़ा सकता है।
इसे भारत के लिए एक सच्चा “आहा मोमेंट” बताते हुए उनका संदेश देश से आह्वान करता है कि वह अपनी प्राचीन ज्ञान परंपरा को पुनः अपनाए और उसे आधुनिक जीवन में सार्थक रूप से लागू करे—ताकि भारत अधिक स्वस्थ, अधिक खुशहाल और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बन सके। यह एक ऐसा विचार है जो परंपराओं को चुनौती देता है, फिर भी स्वाभाविक रूप से सही लगता है—एक ऐसी सोच जिसे अब भारत को अपनाना ही होगा।

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