चंडीगढ़ : आम आदमी पार्टी (‘आप’) पंजाब के मुख्य प्रवक्ता और विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल ने गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) के उप-कुलपति (वीसी) को एक पत्र लिखकर उनसे पंजाब के सीमावर्ती इलाकों का विस्तृत सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण करवाने का अनुरोध किया है। विधायक धालीवाल ने यह मांग हाल ही में आई बाढ़ की तबाही और इस संवेदनशील क्षेत्र के लोगों के जीवन और आजीविका पर पड़े विनाशकारी प्रभाव को देखते हुए की है।
विधायक धालीवाल ने बताया कि अमृतसर, गुरदासपुर और फ़िरोज़पुर जैसे सीमावर्ती जिले लंबे समय से कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इन चुनौतियों में विभाजन के ऐतिहासिक परिणाम, बार-बार युद्धों का होना, भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगातार तनाव और अब, लगातार बढ़ती बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र पहले से ही आर्थिक रूप से कमज़ोर और सामाजिक तौर पर नाजुक हैं। बाढ़ के कारण गेहूँ की पैदावार में भारी गिरावट आई है, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है।
विधायक धालीवाल ने ज़ोर देकर कहा कि सुरक्षा संबंधी प्रतिबंधों के कारण पिछले वर्षों में 60,000 एकड़ से अधिक कृषि भूमि का उपयोग नहीं हो सका है। सैकड़ों निवासी लैंडमाइन्स सहित सीमा से संबंधित दुर्घटनाओं का शिकार हुए हैं। फसलों की बर्बादी और बाढ़ के कारण ग्रामीण संकट, बेरोज़गारी और पलायन का खतरा अब अपने चरम पर है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी मानती है कि यूनिवर्सिटी द्वारा करवाया गया यह विस्तृत, वैज्ञानिक और निष्पक्ष सर्वे जमीनी हकीकत के सटीक आँकड़े देगा।
विधायक धालीवाल ने कहा कि जीएनडीयू अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता और सामाजिक ज़िम्मेदारी के लिए जानी जाती है। यह यूनिवर्सिटी अपने समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, समाज कार्य और आपदा प्रबंधन विभागों के माध्यम से इस पहल का नेतृत्व करने के लिए बेहतर स्थिति में है। उन्होंने अपील की कि सर्वे के परिणाम राज्य और केंद्र सरकारों के लिए प्रभावी राहत, पुनर्वास और विकास नीतियां तैयार करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
विधायक धालीवाल ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपने साथ विधायक डॉ. जसबीर सिंह संधू को लेकर जीएनडीयू के उप-कुलपति को पत्र दिया है। उन्होंने कहा कि उप-कुलपति डॉ. करमजीत सिंह ने उन्हें आश्वासन दिया है कि यूनिवर्सिटी जल्दी ही एक अच्छा सर्वे करके रिपोर्ट उन्हें सौंपेगी। रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय किया जा सकेगा कि बाढ़ क्यों आते हैं, इसके क्या कारण हैं और पंजाब सरकार तथा केंद्र सरकार से क्या मदद ली जा सकती है।

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