चंडीगढ़ : बिक्रम सिंह मजीठिया से जुड़े शराब माफिया मामले में एक बड़े डेवलपमेंट के तहत, उनके करीबी साथी हरप्रीत गुलाटी को अदालत द्वारा 6 दिनों के पुलिस रिमांड पर भेजे जाने के बाद, एडवोकेट फैरी सोफत विशेष लोक अभियोजक ने स्पष्ट किया कि पंजाब में ‘आप’ सरकार की शून्य-सहिष्णुता (जीरो-टॉलरेंस) नीति ने उस माफिया नेटवर्क पर सीधा प्रहार किया है, जिसे अकाली शासनकाल में संरक्षण मिलता था। फैरी सोफत ने दावा किया कि इस रिमांड के बाद मजीठिया का पूरा नेटवर्क एक्सपोज होगा और उनकी अवैध संपत्तियों का पर्दाफाश होगा।
एडवोकेट फैरी सोफत विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि बिक्रम सिंह मजीठिया वाले केस में जाँच (इन्वेस्टिगेशन) के दौरान कई कंपनियों और व्यक्तियों की भूमिका सामने आई है, जिनमें से एक हरप्रीत गुलाटी भी है, जिसे आज अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 6 दिसंबर तक 6 दिन का पुलिस रिमांड दिया है। उन्होंने बताया कि गुलाटी और उनके साथी अमरदीप गुलाटी, जो 2007 में कार एक्सेसरीज का काम करते थे, का शराब (लिकर) के व्यवसाय से कोई संबंध नहीं था। लेकिन चूंकि वह बिक्रम सिंह मजीठिया के करीबी थे, इसलिए अकाली सरकार बनने के बाद शराब माफिया को नियंत्रित करने के लिए बनाई गई कुछ कंपनियों में इन्होंने व्यवसाय शुरू कर दिया।
एडवोकेट फैरी सोफत विशेष लोक अभियोजक ने आगे कहा कि उन कंपनियों ने बिक्रम मजीठिया के पारिवारिक व्यवसायों में लगभग 10 करोड़ रुपये समय-समय पर दिए, जिसका कोई भी स्पष्ट कारण नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि जब विजिलेंस ब्यूरो ने पूछताछ के लिए बुलाया तो गुलाटी ने कोई सहयोग नहीं किया क्योंकि उनके पास इस बात का कोई जवाब ही नहीं था कि करोड़ों रुपये किस चीज़ के लिए दिए गए थे। उन्होंने बताया कि जो करोड़ों रुपये इन्होंने बिक्रम मजीठिया की और उनके रिश्तेदारों की फर्मों को दिए, वह पैसा आगे फिर दूसरी फर्मों में चला गया, जिससे संपत्तियाँ खरीदी गईं और कर्ज उतारे गए। उन्होंने कहा कि अदालत के रिमांड के बाद इस पूरे मामले की और गहराई से जाँच की जाएगी और सच्चाई सामने आएगी।

