चंडीगढ़ : पंजाब भर के ग्रामीण क्षेत्रों से निर्णायक फैसला सुनाते हुए पंजाब भर के मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी (आप) को जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनावों में एक बड़ा जन-फतवा दिया है, जो सत्ताधारी सरकार से ऊबने या थकने का नहीं बल्कि सरकार के बेहतर शासन की स्पष्ट समर्थन का प्रमाण है। 70 प्रतिशत से अधिक सीटों पर पार्टी की जीत एक सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में मजबूत जन-लहर की ओर इशारा करती है। यह कहते हुए ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह जन-फतवा भगवंत मान सरकार द्वारा ‘काम की राजनीति’, जिसमें ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’, सिंचाई सुधार, निर्विघ्न बिजली, सड़क निर्माण, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं आदि क्षेत्रों में विभिन्न पहलकदमियां शामिल हैं, के प्रति लोगों के गहरे विश्वास को दर्शाता है।
यह कहते हुए कि ‘आप’ ने कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा को बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस फैसले ने लोगों की सोच को स्पष्ट रूप से सबके सामने रख दिया है और ये परिणाम उनकी सरकार द्वारा जिम्मेदारी और विनम्रता की भावना से लोगों की सेवा का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, जिसे वे इसी तरह जारी रखेंगे।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज यहां कहा कि ग्रामीण पंजाब में हाल ही में हुई ब्लॉक समिति और जिला परिषद चुनावों के परिणाम स्पष्ट रूप से आम आदमी पार्टी की शानदार जीत और भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किए गए कार्यों में लोगों के विश्वास को दर्शाते हैं। मीडिया को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि इस बड़े जन-फतवे का पैमाना और प्रवृत्ति सत्ता-विरोधी नहीं, बल्कि पूरे पंजाब में सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में बह रही हवा का प्रमाण हैं।
मोहाली स्थित पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि तीन-चार दिन पहले ही ग्रामीण पंजाब में ब्लॉक समिति और जिला परिषद की चुनाव हुए थे, जिनके परिणाम कल ही आए हैं और अब तक के परिणामों से लगता है कि आम आदमी पार्टी ने इन चुनावों में लगभग 70 प्रतिशत सीटें जीती हैं, जो अपने आप में एक बड़ी बात है।
‘आप’ सुप्रीमो ने कहा कि यह फैसला मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर लोगों की स्पष्ट मुहर है। यह दर्शाता है कि ग्रामीण पंजाब के लोगों ने भगवंत मान के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार के कार्यों में अपना गहरा विश्वास जताया है। राजनीतिक शब्दों में, जिसे आमतौर पर सत्ता-विरोधी फैक्टर कहा जाता है, मेरा मानना है कि इसके बजाय यह सत्ता-पक्षीय फैक्टर बन गया है। लोग सरकार द्वारा किए गए कार्यों से बहुत खुश हैं और इसलिए उन्होंने सरकार को फिर से बड़ा समर्थन दिया है।
पिछले ग्रामीण स्थानीय चुनावों से तुलना करते हुए अरविंद केजरीवाल ने बताया कि ऐसी चुनावों को अक्सर जनता की सोच के प्रारंभिक संकेत के रूप में देखा जाता है। उन्होंने कहा कि साल 2013 की ब्लॉक समिति और जिला परिषद चुनाव 2012 की विधान सभा चुनावों से एक साल बाद ही हुए थे यानी ये चुनाव शिरोमणि अकाली दल के अच्छे दिनों के समय में ही हुए थे। इसी तरह 2018 की ग्रामीण चुनाव भी साल 2017 में कांग्रेस द्वारा विधान सभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद हुए थे। उन्होंने कहा कि लेकिन वर्तमान ग्रामीण चुनाव तब हुए हैं जब आगामी विधान सभा चुनावों में महज एक साल बाकी है, जिसे मुख्य रखते हुए ये परिणाम स्पष्ट रूप से वर्तमान सरकार के कार्यों में लोगों के ठोस विश्वास और संतुष्टि को दर्शाते हैं।
पिछली सरकारों से की जा रही तुलनाओं के जवाब में ‘आप’ प्रमुख ने कहा कि ऐसे जोड़-तोड़ पूरी तरह भ्रामक हैं। उन्होंने कहा कि कल कुछ पत्रकारों ने मुझे बताया था कि 2012 में जब अकाली दल सत्ता में था तब उस समय उन्हें भी ग्रामीण स्थानीय चुनावों में बहुमत मिला था। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय और माहौल की तुलना उस समय से करना किसी भी पक्ष से सही नहीं है क्योंकि पहली बात तो उन समयों में पिछली दोनों सरकारों ने सिर्फ एक साल ही पूरा किया था, जबकि हमारी सरकार ने चार साल पूरे किए हैं। दूसरी बात यह कि हम सभी जानते हैं कि 2013 और 2018 की ग्रामीण चुनाव पूरी तरह जबरदस्ती के अधीन हुए थे और इन चुनावों या वोटों की गिनती की कोई वीडियोग्राफी नहीं हुई थी। इसलिए जो कुछ हुआ वह धक्केशाही और जबरदस्ती से हुआ।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हाल ही में हुए चुनाव पूरी तरह पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से करवाए गए हैं, जिन दौरान पूरी पोलिंग प्रक्रिया और वोटों की गिनती की वीडियोग्राफी की गई। उन्होंने कहा कि मैं आपके सामने ठोस सबूत रख रहा हूं कि ये चुनाव कितने निष्पक्ष और पारदर्शी थे।
विस्तृत आंकड़ों का हवाला देते हुए ‘आप’ प्रमुख ने कहा कि पंजाब भर में 580 सीटें ऐसी हैं जो 100 से कम वोटों के अंतर से जीती गई हैं, और इन 580 सीटों में से ‘आप’ ने 100 से कम वोटों के अंतर से 261 सीटें जीती हैं, जबकि विपक्षी पक्ष ने 319 सीटें जीती हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग या दबाव बनाने की कोई बात होती तो सिर्फ डीसी या एसडीएम को एक फोन कॉल करने से विपक्ष द्वारा जीती गई 319 सीटें आसानी से हमारे पक्ष में जा सकती थी, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, क्योंकि हम लोगों की सच्ची भावना और सोच देखना चाहते थे।
अरविंद केजरीवाल ने उदाहरण देते हुए कहा, “जिला परिषद चुनावों में, संगरूर जिले के फग्गवाला जोन से कांग्रेस महज 5 वोटों से जीती है। श्री मुक्तसर साहिब में, कोट भाई जोन से कांग्रेस सिर्फ 41 वोटों से जीती। ऐसी बहुत सारी उदाहरण हैं। ब्लॉक समितियों में, फतेहगढ़ साहिब के लखनपुर वार्ड में, कांग्रेस ने 3 वोटों से जीत प्राप्त की। जालंधर के गिल में, कांग्रेस ने 3 वोटों से जीत प्राप्त की। लुधियाना के बाजरा में, कांग्रेस ने 3 वोटों से जीत प्राप्त की। गुरदासपुर के चग्गूवाल में, कांग्रेस 4 वोटों से जीती। होशियारपुर के घोड़ेवाहा (टांडा) में, कांग्रेस ने 4 वोटों से जीत हासिल की। उन्होंने कहा कि जब एक, दो, तीन या चार वोटों के अंतर से सीटें जीती जा रही हैं तो क्या इससे बड़ा कोई सबूत हो सकता है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, स्वतंत्र और निष्पक्ष थी।
‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि इतने करीबी परिणाम स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि सरकार का चुनाव प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं था। उन्होंने कहा, “किसी सत्ताधारी पार्टी द्वारा अगर चुनाव प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप किया जाए तो एक, चार या पांच वोटों से तय सीट को बदलना कोई बड़ी बात नहीं होती। इसलिए, इससे स्पष्ट हो जाता है कि लोगों ने वर्तमान सरकार के कार्य का वास्तव में समर्थन किया है।”

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